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अनुरूपता का अभाव: व्यक्ति सामाजिक परंपराओं, मर्यादाओं एंव आदर्शों की ओर ध्यान न देकर स्वयं के व्यक्तिगत आचरण संहिता को सही मानता है और उसी को महत्व देता है। वह सामाजिक अनुरूपता की सार्थकता को समझने का प्रयास ही नहीं करता है।